Murder Mubarak Movie REVIEW in Hindi
मर्डर यह शब्द सुनते ही हम लोग ऐसे दूर भागते हैं जैसे कोई भूत देख लिया हो लेकिन फिल्मों वाला मर्डर सबका फेवरेट होता है।
जैसे दृश्यम वाव क्लाइमेक्स में एक इंसान की बॉडी को कुत्ते से बदल देना टॉप लेवल सिनेमा जिंदगी में ना भूल पाओ मजा आता है ना दिमाग लगाने में तो चलो आपके लिए एक नई पहेली आई है इस बार तो फिल्म के नाम में ही मर्डर है मर्डर मुबारक।
अमीरों का एक क्लब है सर जिसकी मेंबरशिप फीस पूरे ₹ करोड़ 999 लाख है और हां पूरे 20 साल की वेटिंग उसके बाद ही एंट्री मिलेगी सोच रहे होंगे आप 2 करोड़ में एंट्री भाई ऐसा इस क्लब में क्या मिल लेगा एक पुरानी हवेली के राजा साहब अपने जमाने की मशहूर फिल्मों की एक्ट्रेस और इन सबसे भी ज्यादा इंटरेस्टिंग एक डेड बॉडी माहौल थोड़ा सीरियस हो गया नहीं हल्का कर देती हूं क्लब की फेमस लव स्टोरी एक भूतिया पति उसकी विधवा पत्नी जिसके पीछे वकील लवर ट्रायंगल।
एक जगह पे इतना सब कुछ सच बोलू 2 करोड़ फीस थोड़ी कम नहीं लगती अच्छा तो मर्डर किया किसने हम कैसे पता लगाएंगे वो काम इंस्पेक्टर साहब का है जो इन अमीरों की मकड़ी के जाल जैसी जिंदगी को बड़े आराम से सुलझाए लेकिन इस कहानी में इतने सारे ट्विस्ट एंड टर्न्स हैं ना कि सिर्फ एक छोटी सी गलती और इंस्पेक्टर साहब खुद इस मकड़ी का अगला शिकार बन जाएंगे।
नया दिन नई पार्टी क्लब में सब नाच रहे हैं इस बात से बिल्कुल अनजान कोई है इनके ही बीच में जिसने कुछ घंटे पहले ले ली है किसी इंसान की जान अरे यार यह सॉल्व होता है ना उससे पहले एक और मर्डर हो जाता है बंदूक बंदूक से निकली गोली और दूसरी तरफ एक नौकर का सर लो जी सबको एक और मर्डर मुबारक समझ गए होंगे आप यह कोई मामूली फिल्म नहीं है बॉस इल्यूजन आंखों के धोखे जैसी है आंखों के सामने होते हुए भी आप कातिल को पकड़ नहीं सकते दुनिया का सबसे खतरनाक गेम शक्का गेम वो है इस फिल्म की असली थीम जहां पे पब्लिक को छोटी-छोटी हिंट्स देकर फिल्म के राइटर आपके साथ मजे लेते हैं इस पेड़ के ऊपर चढ़ना आसान है ना।
जब कंपैरिजन इस वाले पेड़ से किया जाए ऐसे ही इस फिल्म में सिर्फ एक कहानी नहीं है कहानी के अंदर कई सारी कहानियां हैं जितना इस फिल्म के बारे में दिमाग में सोचोगे उतना इस फिल्म को देखने का मन करेगा लेकिन सावधान फिल्म उतनी अच्छी बनी नहीं है जिसके आप सपने देख रहे हो फिल्म की कहानी जितना पढ़ने में और सुनने में मजा देती है ना उतना खतरनाक एक्सपीरियंस।
इसको आंखों से देखते टाइम फील नहीं होगा मादारी वाली बात एकदम परफेक्ट सिनेमा देखना है इसी कैटेगरी में सेम यही डायरेक्टर की फिल्म है बीइंग सायरस यह कॉमिनेशन मार्स पे पानी ढूंढने जितना मुश्किल है अपने बॉलीवुड के अंदर और इसी कॉमेडी के चक्कर में ना इस फिल्म की मर्डर मिस्ट्री का बलिदान चढ जाता है ।
वो सस्पेंस सस्पेंस ही कैसा जो जोक्स में बाहर आ जाए यह जो अमीरों को एलियन जैसा दिखाकर ऑडियंस को उनकी जिंदगी में यूमर ढूंढने का जो सिनेमा बनता है इस बार वह कोशिश थोड़ा सा फेल साबित हुई है जरूरत से ज्यादा एक्टर्स किसी फिल्म में घुस जाए ना तो भैया खिचड़ी बन जाती है 10 लोगों को 30 डायलॉग्स सिर्फ तीन डायलॉग में किसी कैरेक्टर के साथ कैसे कनेक्ट करें फिल्म से पब्लिक का कनेक्शन सबसे जरूरी है।
एक्टर्स का क्या अच्छा सस्पेंस क्रिएट करने के लिए सिर्फ तीन लोग ही काफी होते हैं शैतान देख लो पंकज सर के पास एक्टिंग की बहुत सारी शक्तियां हैं लेकिन इन शक्तियों का सही से इस्तेमाल करना भी तो आना चाहिए जोकर और बैटमैन के जोकर में फर्क होता है बाकी बहुत सारे एक्टर्स है फिल्म में लेकिन किसी पर इतना स्पेशल ध्यान नहीं जाने वाला ये एक्टर्स की फिल्म है ही नहीं कहानी इसका असली हीरो है है उस परे ध्यान देना।
Rating:-2/5